आसिफ अली, अमरोहाउत्तर प्रदेश स्थित अमरोहा के निवासी दृष्टिहीन युवा सतेंद्र सिंह ने गत सिविल सर्विसेज परीक्षा में 714वीं रैंक हासिल की। अब वह गूगल के विज्ञापन में दूसरों को जीने की कला सिखाते दिखाई देंगे। वैश्विक सर्च इंजन गूगल ने अपने एक उत्पाद के विज्ञापन में सतेंद्र के संघर्ष और सफलता को दिखाया है।सतेंद्र सिंह ने इस साल केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में बाजी मारी। उन्हें यह सफलता तीसरे प्रयास में मिली है। सतेंद्र दिल्ली विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं। बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले के सतेंद्र के पिता किसान हैं। सतेंद्र सालभर के ही थे जब उन्होंने आखों की रोशनी खो दी। उन दिनों उन्हें निमोनिया हो गया था। इलाज के दौरान डॉक्टर ने उन्हें गलत इंजेक्शन दे दिया और इसकेबाद उनकी ऑप्टिक नर्व डैमेज हो गई। सतेंद्र कहते हैं, ‘इस घटना के बाद मेरी दुनिया बदल गई थी। इस परेशानी से निकलने में मुङो लंबा संघर्ष करना पड़ा। पिता जी ने एक संस्था की मदद से पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया। मैंने वहां दृष्टिहीन बच्चों के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद स्टीफन कॉलेज से ग्रैजुएशन किया और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर की डिग्री हासिल की। पीएचडी करने के बाद मुङो दिल्ली विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल गई। अरबिंदो कॉलेज में पढ़ाने लगा और यूपीएससी की तैयारी भी करता रहा। अंतत: इसमें भी सफलता हासिल की..।’अमरोहा जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी. दूर हाईवे पर स्थित गांव रजबपुर से सटा मझरा हुमायूं नगर है। सतेंद्र के इस गांव में अब उत्सव सा माहौल है। सतेंद्र बताते हैं कि पढ़ाई के लिए उन्होंने स्क्रीन रीडिंग सिस्टम का प्रयोग किया, वहीं यूपीएससी की तैयारी के लिए मोबाइल व कंप्यूटर से टॉक बैक एप्लीकेशन की मदद ली। गूगल पे एप के लिए बनाई गई विज्ञापन फिल्म में गूगल ने अनहोनी को होनी करने वाली देश की चार बड़ी हस्तियों में शामिल किया है। इनमें से एक सतेंद्र भी हैं। अमेरिका से नौकरी छोड़ कर आई राजस्थान की ग्राम पंचायत सोड़ा की सरपंच छवि राजावत, माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली हैदराबाद के गांव पाकाल निवासी पर्वतारोही पूरणा मालावथ और सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर को भी इस फिल्म में दिखाया गया है। जागरण विशेष की अन्य खबरें
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