चंडीगढ़। दिव्यांग लोगों में जिनके लिए किसी अपरिचित स्थान पर घूमना चुनौतीपूर्ण होता है। खासकर यह तब और मुश्किल हो जाता है जब आप देख नहीं सकते। शहर के दिव्यांग दृष्टिबाधित लोग और ब्लाइंड स्कूल के छात्रों को दी जा रही है मोबिलिटी ट्रेनिंग, जिसका उद्देश्य दृष्टिबाधितों को बिना किसी सहारे के स्वतंत्रता और सुरक्षा पूर्ण तरीके से एक से दूसरी जगह पहुंचना है। द ब्लाइंड स्कूल सेक्टर-26 में इन लोगों को एक छड़ी के जरिये ट्रेनिंग दी जाती है। इन लोगों के लिए सफेद छड़ी एक महत्वपूर्ण साधन है जो उन्हें एक से दूसरे स्थान तक सुरक्षित रूप से जाने में मदद करती है। यह न केवल उनकी गतिशीलता को बढ़ावा देती है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है। सफेद छड़ी का उपयोग करके, दृष्टिबाधित व्यक्ति अपने आसपास की बाधाओं का पता लगा सकते हैं और सुरक्षित रूप से चल सकते हैं।
महीनों की ट्रेनिंग से होता है अनुभव
द ब्लाइंड स्कूल सेक्टर-26 में दिव्यांगों को मोबिलिटी ट्रेनिंग देने वाले डीपी पाठक ने बताया कि हमारे यहां पर दी जाने वाली ट्रेनिंग से दृष्टिबाधितों को बिना सहारे के स्वतंत्रता और सुरक्षा पूर्ण तरीके से पहुंचाने में मदद मिलती है। यहां पर इन लोगों को एल्युमीनियम की पाइप (छड़ी) के जरिए चलने का अभ्यास कराया जाता है। इसमें कुछ महीनों तक का समय लगता है। छड़ी को इस्तेमाल करने के बारे में बताया जाता है कि कैसे इस पर ग्रिप बनानी है, हाथ की पोजीशन को कैसे रखना है, कलाई का उपयोग कैसे करना है, सड़क पर चलते हुए कैसे बाधाओं का छड़ी के जरिये पता लगाना है।
200 लोग ले चुके हैं ट्रेनिंग
मोबिलिटी ट्रेनिंग देने वाले डीपी पाठक ने बताया कि ब्लाइंड स्कूल में अभी तक हम करीब 200 लोगों को मोबिलिटी ट्रेनिंग दे चुके हैं। इनमें हमारे स्कूल के बच्चे तो शामिल हैं ही, साथ ही शहर में रहने वाले दृष्टिबाधित लोग भी शामिल है। यह लोग ट्रेनिंग के बाद अपनी छड़ी के जरिये जहां पर वह नौकरी करते है, बिना किसी सहारे के आ जा रहे हैं।
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